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760 अरब रुपए के उड़ीसा परियोजना को रद्द किया पॉस्को ने

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हाल ही में पॉस्को (जो कि एक दक्षिण कोरिया की स्टील कंपनी है) ने उड़ीसा परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। तकरीबन १० साल पहले, कंपनी ने भारत में लगभग ७६० अरब रुपए (१२ अरब डॉलर) की लागत से स्टील प्लांट लगाने के लिए हामी भरी थी।

कुछ समय बाद, ऐसे संकेत भी मिलने लगे हैं कि पॉस्को, उड़ीसा प्रोजेक्ट को पूरी तरह बंद कर सकती है। इसकी वजह यह है कि जमीन अधिग्रहण और लौह अयस्क ब्लॉक पट्टे में काफी देरी हो चुकी है। नए कानून के कारण, लौह अयस्क जुटाना बहुत महंगा हो गया है, कंपनी के एक प्रवक्ता के अनुसार।

साल २००५ में हुआ था करार

साल २००५ में पॉस्को के उड़ीसा प्लांट पर सहमति बनी थी। उस समय इसे सबसे बड़ा एफडीआई, यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करार दिया गया था। परन्तु इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने में काफी अड़चनें आईं।

लंबा इंतजार

स्टील प्लांट की जमीन का इंतजाम करने के लिए कंपनी ने करीब एक दशक का इंतजार किया, लेकिन स्थानीय आदिवासियों के हिंसक विरोध के कारण, कंपनी जमीन अधिग्रहण नहीं कर पाई।

लागत में बढ़ोतरी

नए खनन बिल के कारण लौह अयस्क की व्यवस्था करना पहले से ज्यादा महंगा हो गया है। प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डालने की वजह यही रही। खनन कानून के अनुसार पॉस्को को अब नीलामी में हिस्सा लेकर माइनिंग लाइसेंस प्राप्त करना होगा। कंपनी के लिए उत्पादन लागत के बढ़ने के आसार है, जबकि फिलहाल दुनियाभर में स्टील की कीमतों में गिरावट आ रही है।

प्रोजेक्ट रुकने के मुख्य कारण

• दुनियाभर में फिलहाल स्टील की कीमतों में गिरावट का रुझान
• कंपनी को नीलामी में हिस्सा लेना होगा, माइनिंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए
• नीलामी के कारण लौह अयस्क की लागत बहुत बढ़ सकती है
• जमीन अधिग्रहण में देरी – स्थानीय आदिवासियों के विरोध के कारण

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